स्वतन्त्र का स्व नहीं मेरा..

“पर” खुले है.. पर व्योम नहीं मेरा !

अंधेरा घना गहरा…रोशनी पे कड़ा पहरा..!

ओ कल के अधिदेवता..!

या तो.. च़रागो को रोशन कर सके .. ऐसा हौंसला दे दे !

जुगनु नहीं तेरे प्रतिनिधी..

ऐसा रोशन सवेरा कर दें…!!

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