Mental Slavery
किसी को "पुर्ण " मान लिया..? मतलब.. उसके दोष दिखायी नही देंगे..! दासता बढेगी… प्रियता में हित का नाश… अतंतोगत्वा..पश्चाताप......
किसी को "पुर्ण " मान लिया..? मतलब.. उसके दोष दिखायी नही देंगे..! दासता बढेगी… प्रियता में हित का नाश… अतंतोगत्वा..पश्चाताप......
काम 4 ही आएगें... पैसा, परिवार, परम मित्र और परमात्मा... !! Invest इन्ही में. !!
आत्म प्रशंसा …और आत्म ग्लानि .. दोनों ठीक नहीं ..! दोनों कर्ता भाव के लक्षण ..!!
हे पारस ! तुझमें गुणों का अभाव न था । स्वर्ण तेरा स्पर्श .. पर लोहा मेंरा स्वभाव न था...
क्या देखा मित्र में…? उसका स्वभाव अच्छा ..या उसका प्रभाव अच्छा …? संबंधों में लाभ हानि की गणना करने वाले...
मंजिल से मोहब्बत.. करो शिद्दत से.., पर रास्तों से.. ईश्क जरूरी है..!! Enjoy Journey Not Destination..!!
दर्प का अर्पण .. केसै हो . .? दर्पण..! ये दर्प भी तेरा… ये अहं..और वहम भी तेरा.. मंजिल..राह..कदम तेरे..,...
पुरुस्कार या सम्मान व्यक्ति का नहीं ..निहित ईश्वरीय तत्व (कला, योग्यता ) का होता हैं ..! निजी सम्पत्ति की तरह...
एक मित्र ऐसा जरूर हो.. जो हमारी ताकत और योग्यता का हमें अहसास कराता रहे..! और जब अति उत्साहित हो...
हे....अभिमान.. ! कितने अच्छे हो..तुम.. धर्म निरपेक्ष.. सर्वव्यापी कोई जाति, धर्म, देश लिंग का भेद नहीं.., चिरंजीवी.. सदियों से सदा...