ज्यादातर बुद्धिजीवीयों के समाज में नकारात्मक योगदान के कारण

  1. स्थूल एवं अकर्मण्य व्यवहार,
  2. निज स्वार्थ के प्रति अपेक्षाकृत विशेष आग्रह एवं अनुरूप ही व्यवहार,
  3. मानसिक विकास के साथ पलायनवादी विचारधारा का बढ़ता प्रभाव,
  4. अप्रासंगिक होने की उहापोह,
  5. लठैत संस्कृति के प्रति संकोच, यश मलिन व अलग-थलग पडने का भय,
  6. सम्पुर्ण प्रक्रिया दीर्घकालिक,
  7. उत्तरापेक्षित चुनौतियाँ,
  8. आर्थिक पक्ष का अपुर्ण होना,
  9. आग्रह को आमन्त्रण की अपेक्षा,
  10. बौद्धिक हठधर्मिता,
  11. सम्पूर्ण परिवेश में अल्प समर्थन,
  12. दाँव पेच में अकुशल, अव्यवहारिक,
  13. अपर्याप्त अनुभव, पिछले परिणामों से सबक !!

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